ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है काम करती है? What is options trading and how does it work?

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ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है  काम करती है?

शेयर मार्किट में अगर कोई गैंबलिंग होती है तोह वो ऑप्शन ट्रेडिंग होती है। इसमें 1000 रुपयों से 10000 प्रॉफिट कुछ ही मिंटो में जा सकता है। 
सबसे पहले हम आपको बता देते है की ऑप्शन ट्रेडिंग में जो हानि है वो  सिमित है। मतलब एक  अमाउंट से ऊपर लॉस नहीं होगा। अगर आप 1000 रूपये से ट्रेड  कर रहे हो तो आपका 1000 से ऊपर का लॉस नहीं होगा।  पर जो आपका प्रॉफिट है उसकी कोई लिमिट  नहीं है। यानी प्रॉफिट आपका अनलिमिटेड है।  

आइये हम आपको अब बताते  है की ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होती है। 
आप  इक्विटी शेयर, बॉन्ड्स  सुना होगा इसी तरह डेरिवेटिवेस होते है। 

डेरीवेटिव्स क्या होते है ?

यहां  हम ऑप्शन ट्रेडिंग को एक example समझते है की यह क्या होती है और कैसे काम करती है। 
Example : मान लो आपको LG की 72 in.  LCD लेनी है और आप LG के घर से LG के शोरूम के लिए जाते हो और रास्ते में आपको आपका दोस्त मिल गया  आप उस से बोलते है की मैं LG के शोरूम जा रहा हूं LCD लेने, तो इतने में ही आपका दोस्त बोलता है कि अगले हफ्ते सभी LCD's के दाम बदल सकते है। तो आप सोचते है की दाम कम कहाँ होंगे यह तोह जरूर बढ़ेंगे।  यह सोच क्र आप शोरूम चले जाते है और सेलर से बात करते है की मुझे 72 इंच की LCD  चाहिए।  पर सेलर आपसे  कि अभी 72 इंच की LCD नहीं है।  आप अगले हफ्ते ले लेना।  तभी आपको अपने दोस्त की बात याद आती है कि LCD के दाम बाद सकते है तो आप सेलर से बात करके उसके साथ कॉन्ट्रैक्ट कर लेते है कि मैं आपको बुकिंग अमाउंट दे देता हूं यानी टोकन अमाउंट ले लो और मेरा LG -72  inch LCD बुक कर लो और जितनी कीमत की LCD उतनी कीमत की पर्ची काट के दे दो क्यूंकि आपको लग रहा है कि 55000 की LCD का प्राइस अगले हफ्ते बाद सकता है तो आप सेलर को बोल कर डील बना लेते है।  तो सेलर कहता है चलो ठीक है प्राइस चाहे कम हो या बढ़े मैं आपको  LCD 55000 रुपए की ही दूंगा।  जब अगले हफ्ते आप शोरूम जाते है तो सेलर आपको LCD दे देता है 55000/-  में   तो आप बातो बातों में सेलर को पूछते है की अब क्या प्राइस चल रहा है इस LCD का तो वह बोलता है की इसी हफ्ते कंपनी ने प्राइस कम कर  दिए है और अब यह 50000 /- की मिल रही है। तो आप सेलर को बोलते है की आप मुझे इसे 50000 में ही दो तो सेलर बोलता है ठीक है ले लो पर अपना टोकन , कॉन्ट्रैक्ट अमाउंट भूल जाओ। अब आपके पास दो चुआइस है या तो कॉन्ट्रैक्ट अमाउंट पे कर LCD ले लो  या फिर करंट प्राइस पर LCD को ले कर अपना प्रमियम अमाउंट भूल जाओ। 

अब इसी तरह मान के चलो की LCD  का प्राइस 60000 /- हो गया है। तो जो आपके सेलर के बिच कॉन्ट्रैक्ट हुआ था उसी पर ही आपको आपकी LCD देनी पड़ेगी और बाकी का प्रीमियम दे कर आप अपनी LCD को ले सकते है क्यूकी सेलर अपने कॉन्ट्रैक्ट से बादित है उसको 55000 /- आपको LCD देनी पड़ेगी।  

ठीक इसी तरह  स्टॉक मार्किट में होता है जब आपको पता लगता है की मार्किट के दाम कम हो सकते है।  तो हम ऑप्शन में PUT को खरीदेंगे और अगर आपको लगता है की दाम बढ़  सकते है तोह आप ऑप्शन में CALL को खरीदेंगे। 

ऑप्शन ट्रेडिंग की weelky  और Monthly  ट्रेडिंग बी होती है। और इसकी expiry महीने के आखरी बीरबार बाले दिन होती है और Weekly में भी होती है। 

ऑप्शन ट्रेडिंग ऑप्शन चैन पर डिपेंड करती है।  हम ऑप्शन चैन देख क्र ट्रेड का एनालिसिस कर सकते है । 






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